अमृतमयी किरणें
इस दिन आसमान से अमृतमयी किरणों का आगमन होता है। इन किरणों में कई तरह के रोग नष्ट करने की क्षमता होती है। ऐसे में जहां इन किरणों से बाहरी शरीर को लाभ मिलता है वहीं शरीर के भीतर के अंगों को भी लाभ मिले इसके लिए खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखकर बाद में उसे खाया जाता है। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को लोग अपने घरों की छतों पर खीर रखते हैं।

अमृत समान बन जाता है दूध
यह भी कहा जाता है कि इस दौरान चंद्र से जुड़ी हर वस्तु जाग्रत हो जाती है। दूध भी चंद्र से जुड़ा होने ने कारण अमृत समान बन जाता है जिसकी खीर बनाकर उसे चंद्रप्रकाश में रखा जाता है।

मौसम में बदलाव
शरद पूर्णिमा से मौसम में परिवर्तन की शुरूआत होती है। इस तिथि के बाद से वातावरण में ठंडक बढ़ने लगती है। शीत ऋतु का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है कि शीत ऋतु में हमें गर्म पदार्थों का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इन्हीं चीजों से ठंड में शक्ति मिलती है।

पौष्टिक पदार्थ का सेवन
खीर में दूध, चावल, सूखे मेवे आदि पौष्टिक चीजें डाली डाती हैं, जो कि शरीर के लिए फायदेमंद होती हैं। इन चीजों की वजह से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। यहीं खीर जब पूर्णिमा को बनाकर खाई जाए तो उसका गुण दोगुना हो जाता है।

दमा रोगियों के लिए अमृत
दमा रोगियों के लिए यह खीर अमृत समान ही होती है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी में खीर रखने के बाद सुबह चार बजे के आसपास दमा रोगियों को खा लेनी चाहिए। इसलिए डॉक्टर्स भी दमा रोगियों को ये खीर खाने की सलाह देते हैं।